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छीन मत हमसे पुतलियों की महकती ख़ुशबू
अपनी लट खोल के छितरा दे , बहस रहने दे
ज़िन्दगी ऐसे ही मस्ती में गुज़र जाने दे
तार ढीले ही सही, तार न कस, रहने दे
खींच लायें हैं उन्हें आपकी बांहों बाँहों में गुलाब
थोडा काँटों को भी इस बात का जस रहने दे
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