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प्यार की बात न कर, प्यार को बस रहने दे / गुलाब खंडेलवाल
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20:28, 24 जून 2011
छीन मत हमसे पुतलियों की महकती ख़ुशबू
अपनी लट खोल के छितरा दे
,
बहस रहने दे
ज़िन्दगी ऐसे ही मस्ती में गुज़र जाने दे
तार ढीले ही सही, तार न कस, रहने दे
खींच लायें हैं उन्हें आपकी
बांहों
बाँहों
में गुलाब
थोडा काँटों को भी इस बात का जस रहने दे
<poem>
Vibhajhalani
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