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मुँह से उफ् तक किये बिना अधिकारों के हित अड़ना है / षष्ट सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
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मुँह से उफ् तक किये बिना अधिकारों के हित अड़ना है
नहीं आदमी से, उसकी दुर्बलताओं से लड़ना है
Vibhajhalani
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