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"लाख चक्कर हों सुराही के, हमारा क्या है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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उनकी महफ़िल है, शराब उनकी, प्याला उनका | उनकी महफ़िल है, शराब उनकी, प्याला उनका | ||
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एक सिवा दिल की तसल्ली के, हमारा क्या है! | एक सिवा दिल की तसल्ली के, हमारा क्या है! | ||
− | + | हँस के बहला भी लिया, रूठके तड़पा भी दिया | |
− | हम हैं मुहरे तेरी | + | हम हैं मुहरे तेरी बाज़ी के, हमारा क्या है! |
जब कहा उनसे, 'खिले आज तो होठों पे गुलाब' | जब कहा उनसे, 'खिले आज तो होठों पे गुलाब' |
02:16, 1 जुलाई 2011 का अवतरण
लाख चक्कर हों सुराही के, हमारा क्या है!
हम तो प्यासे रहे पानी के, हमारा क्या है!
उनकी महफ़िल है, शराब उनकी, प्याला उनका
हम तो दो घूँट चले पीके, हमारा क्या है!
उड़ रही है तेरे जूडे की जो ख़ुशबू हर ओर
एक सिवा दिल की तसल्ली के, हमारा क्या है!
हँस के बहला भी लिया, रूठके तड़पा भी दिया
हम हैं मुहरे तेरी बाज़ी के, हमारा क्या है!
जब कहा उनसे, 'खिले आज तो होठों पे गुलाब'
हँस के बोले कि हैं माली के, हमारा क्या है!