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अब हमारे वास्ते दुनिया ठहर जाए तो क्या! / गुलाब खंडेलवाल
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03:48, 2 जुलाई 2011
बाद मर जाने के जी को चैन भी आये तो क्या!
ख़ुद ही हम
मंजिल
मंज़िल
हैं अपनी, हमको अपनी है तलाशदूसरी
मंजिल
मंज़िल
पे कोई लाख भटकाए तो क्या!
था लिखा किस्मत में तो काँटों से हरदम जूझना
Vibhajhalani
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