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बाद मर जाने के जी को चैन भी आये तो क्या!
ख़ुद ही हम मंजिल मंज़िल हैं अपनी, हमको अपनी है तलाशदूसरी मंजिल मंज़िल पे कोई लाख भटकाए तो क्या!
था लिखा किस्मत में तो काँटों से हरदम जूझना
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