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यों तो होठों से कुछ न कहता है / गुलाब खंडेलवाल
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16:21, 2 जुलाई 2011
कौन समझेगा दिल की बेताबी
खून
ख़ून
आँखों से जब न बहता है!
प्यार की हर सज़ा कबूल हमें
दिल तेरे
बेरुखी
बेरुख़ी
न सहता है
कोई मिलता नहीं हो तुझसे, गुलाब!
फिर भी अनजान नहीं रहता है
<poem>
Vibhajhalani
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