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कौन समझेगा दिल की बेताबी
खून ख़ून आँखों से जब न बहता है!
प्यार की हर सज़ा कबूल हमें
दिल तेरे बेरुखी बेरुख़ी न सहता है
कोई मिलता नहीं हो तुझसे, गुलाब!
फिर भी अनजान नहीं रहता है
<poem>
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