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ये प्यार के वादे क्या सुनिए, यह दिल की कहानी क्या कहिए! / गुलाब खंडेलवाल
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16:28, 2 जुलाई 2011
कहना है हरेक तड़पन से जिसे, वह बात ज़बानी क्या कहिए!
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सुनकर जिनकी, धड़कन है बढ़ी जाती दिल कीहै आज उसी बेदर्द को यह
नाडी
नाड़ी
भी दिखानी, क्या कहिए!
ऐसे तो किसीकी राह में हम, ये हार सजाये बैठे हैं
Vibhajhalani
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