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बातें हम अपने प्यार की, उनसे छिपाके कह गये / गुलाब खंडेलवाल
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20:50, 6 जुलाई 2011
फिर भी जो अनकहा था वह पलकें झुकाके कह गए
काँटों भरे
काँटोंभरे
गुलाब को कोई बड़ा बताये क्यों
माना कि बात वह भी कुछ, ख़ुशबू उड़ाके कह गए
<poem>
Vibhajhalani
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