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आप और घर पे हमारे, क्या ख़ूब! / गुलाब खंडेलवाल
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21:24, 6 जुलाई 2011
आप और घर पे हमारे, क्या ख़ूब!
दिन में उग
आयें
आये
हैं तारे, क्या ख़ूब!
हमने सूरत भी न देखी उनकी
Vibhajhalani
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