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11:12, 8 जुलाई 2011 का अवतरण
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मैनें तुमसे कहा - जागो ! मैनें पानी देखा
जैसे कोई बच्चा चरा रहा हो हवा और पत्थर ।
और मैनें कहा - पानी और फल के नीचे
गेहूँ के दानों की सतह के नीचे
एक फुसफुसाहट है जो ख़्वाब देखती है
ज़ख़्म के लिए एक गीत होने का
भूख और रुलाई की हुकूमत में...
जागो, मैं पुकार रहा हूँ तुम्हें । क्या तुम पहचान नहीं रहे आवाज़ ?
मैं तुम्हारा भाई अल-खिद्र<ref>पैगम्बर और पीरों का मार्गदर्शक, विशेष रूप से सूफ़ियों का पूज्य</ref> हूँ ।
काठी कस लो मौत की घोड़ी की,
वक़्त के दरवाज़े को उखाड़ दो उसकी चौखट से ।
शब्दार्थ
<references/>अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल