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"छवि को सदन मोद मंडित / घनानंद" के अवतरणों में अंतर

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छवि को सदन मोद मंडित बदन-चंद<br>
 
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::तृषित चखनि लाल, कब धौ दिखाय हौ।<br>
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::तृषित चषनि लाल, कबधौ दिखाय हौ।<br>
चटकीलो भेख करें मटकीली भाँति सों ही<br>
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चटकीलौ भेष करें मटकीली भाँति सौही<br>
 
::मुरली अधर धरे लटकत आय हौ।<br>
 
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लोचन ढुराय कछु मृदु मुसक्याय, नेह<br>
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लोचन ढुराय कछु मृदु मुसिक्याय, नेह<br>
 
::भीनी बतियानी लड़काय बतराय हौ। <br>
 
::भीनी बतियानी लड़काय बतराय हौ। <br>
बिरह जरत जिय जानि, आनि प्रानप्यारे,<br>
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बिरह जरत जिय जानि, आनि प्रान प्यारे,<br>
::कृपानिधि, आनंद को धन बरसाय हौ।।3।।<br>
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::कृपानिधि, आनंद को धन बरसाय हौ।।5।।<br>

11:28, 22 अप्रैल 2008 का अवतरण

कवित्त

छवि को सदन मोद मंडित बदन-चंद

तृषित चषनि लाल, कबधौ दिखाय हौ।

चटकीलौ भेष करें मटकीली भाँति सौही

मुरली अधर धरे लटकत आय हौ।

लोचन ढुराय कछु मृदु मुसिक्याय, नेह

भीनी बतियानी लड़काय बतराय हौ।

बिरह जरत जिय जानि, आनि प्रान प्यारे,

कृपानिधि, आनंद को धन बरसाय हौ।।5।।