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प्रथम स्वाधीनता-दिवस के अवसर पर
 
पराधीनता-निशा कट गयी, स्वप्न ब्रिटिश साम्राज्य हुआ हैस्वप्न ब्रिटिश-साम्राज्य हुआ हैपहली बार आज ही अपने घर में अपना राज हुआ पहली बार आज ही अपने घर में अपना राज्य  हुआ है
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पलटा दिन, इतिहास, भाग्य ने पुन: आज अँगड़ाई ली है
भूल न पाती लिये हृदय में घाव खड़ी हल्दीघाटी है
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आओ लौट , सुभाष! न अब दर-दर की ठोकर खानी होगीआज तुम्हीं को तुम्हींको लाल किले पर विजय-ध्वजा फहरानी होगी
आज अमर कवि के स्वप्नों का नंदन उतर पड़ा भूपर
हिमापति खड़ा दहाड़ रहा है किये तिरंगा झंडा ऊपर
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