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कई बार पहले भी उलझी नज़र (दूसरा सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
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21:06, 20 जुलाई 2011
किसीने न दिल यों छुआ था कभी
न बेचैन मैं यों हुआ था कभी
पिघल
बर्फ
बर्फ
-सा प्यार की आँच से
लहू धमनियों में लगा नाचने
दिखा जैसे मूसा की आँखों को तूर
Vibhajhalani
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