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फूलों से प्यार कर सकूँ, मेरे पास इतना समय कहाँ है! / गुलाब खंडेलवाल
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21:46, 20 जुलाई 2011
फूलों से प्यार कर सकूँ, मेरे पास इतना समय कहाँ है!
मेरे सिर पर पहाड़ों का बोझ है,
अगणित
झाड
झाड़
-झंखाड़ों का बोझ है,
सुगंध को स्वीकार कर सकूँ, मेरे पास इतना समय कहाँ है!
माना यह हवा बहुत सुहानी है,
Vibhajhalani
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