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"आईनों से रहित कमरा / मुत्तुलक्ष्मी" के अवतरणों में अंतर
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− | सामने से आनेवाले | + | सामने से आनेवाले लोगों के अंदर |
− | अपने ही | + | अपने ही सरिस कोई तत्व देखने से |
− | मन | + | मन में उठे भय के कारण |
मेरा दुबका कोई स्थान | मेरा दुबका कोई स्थान | ||
आईनों से रहित कमरा | आईनों से रहित कमरा | ||
− | 'फलां ही है' | + | 'फलां ही है' कहकर |
− | + | पहचान कराने वाले | |
आईने से रहित कमरा | आईने से रहित कमरा | ||
− | सदा की तरह् | + | सदा की तरह् नहीं हूं |
− | किसी की तरह् | + | किसी की तरह् नहीं हूं |
ना, ना, यो | ना, ना, यो | ||
अपने भीतर बुदबुदाते | अपने भीतर बुदबुदाते | ||
− | + | मंत्रों से पूरित कमरा | |
− | सदा की तरह की किसी चीज | + | सदा की तरह की किसी चीज को |
− | + | नकारते हुए | |
− | + | बदलते हुए | |
सजाया गया कमरा | सजाया गया कमरा | ||
− | कभी | + | कभी प्रवेश करने वाले व्यक्ति से |
− | कहती रहती | + | कहती रहती हूं |
− | + | आईनों से रहित | |
बदली हुई सजावट वाला है | बदली हुई सजावट वाला है | ||
− | + | मेरा यह कमरा | |
− | वही मैं | + | वही मैं बोल रही हूं |
और | और | ||
− | सुन रही | + | सुन रही हूं वही मैं| |
'''अनुवाद- डॉ. एच. बालसुब्रहमण्यम''' | '''अनुवाद- डॉ. एच. बालसुब्रहमण्यम''' | ||
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22:45, 30 सितम्बर 2011 का अवतरण
जहां भी जिस तरफ भी मुड़े
सामने से आनेवाले लोगों के अंदर
अपने ही सरिस कोई तत्व देखने से
मन में उठे भय के कारण
मेरा दुबका कोई स्थान
आईनों से रहित कमरा
'फलां ही है' कहकर
पहचान कराने वाले
आईने से रहित कमरा
सदा की तरह् नहीं हूं
किसी की तरह् नहीं हूं
ना, ना, यो
अपने भीतर बुदबुदाते
मंत्रों से पूरित कमरा
सदा की तरह की किसी चीज को
नकारते हुए
बदलते हुए
सजाया गया कमरा
कभी प्रवेश करने वाले व्यक्ति से
कहती रहती हूं
आईनों से रहित
बदली हुई सजावट वाला है
मेरा यह कमरा
वही मैं बोल रही हूं
और
सुन रही हूं वही मैं|
अनुवाद- डॉ. एच. बालसुब्रहमण्यम