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(हिंदी सुन्दर कांड वाल्मीकि रामायणं) |
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+ | किताब ----हिंदी सुन्दर कांड वाल्मीकि रामायण | ||
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ब्ल्विक्रम से न तपो धन से, यश कीर्ति से राम कभी न तुलेंगे | ब्ल्विक्रम से न तपो धन से, यश कीर्ति से राम कभी न तुलेंगे | ||
− | कुबेर के वैभव की कोठरी, | + | कुबेर के वैभव की कोठरी, बंद तेरे इशारे पे ताले खुलेंगे | |
− | द्वार निहारेंगे देव खड़े सब, | + | द्वार निहारेंगे देव खड़े सब, पंखे समीर तुम्हारे झलेंगे| |
मणि मोति न हार लसेंगे बदन,वर भूषण अगनि अंग झुलेंगे | | मणि मोति न हार लसेंगे बदन,वर भूषण अगनि अंग झुलेंगे | | ||
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+ | हँसा सके इन हिम्हत नलिनी को, | ||
+ | चन्द्र प्रभा संयोग नहीं| | ||
+ | विधि लिखा है इसके माथे पर, | ||
+ | भुजबल अर्जित भोग नहीं | | ||
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+ | जीवन हो परतंत्र जहाँ, | ||
+ | कुछ करने का अधिकार न हो| | ||
+ | धिक्कार है ऐसे जीवन को | ||
+ | जहाँ मरने का अधिकार न हो | | ||
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+ | किताब ----- हिंदी चाणक्य नीति | ||
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+ | जीव जगत में अनेक बंधन, | ||
+ | प्रेम का बंध निराला है | | ||
+ | भेद निपुण भंगुर कलियों के, | ||
+ | वश मे रहने वाला है | | ||
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+ | मधुप का सदा बहार जीवन , | ||
+ | मदिर चमन मे जीता है | | ||
+ | कुसमित कलियों के पराग का, | ||
+ | उडि उडि मधु रस पीता है | ||
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+ | किताब ---- गोवंश काव्यांजलि | ||
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+ | जिस देश मे गोवंश का, | ||
+ | रुधिर धरा पर बहता है | | ||
+ | नहीं सुरक्षित देश, भूप, | ||
+ | भी नहीं सुरक्षित रहता है | | ||
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+ | किताब------- मजदूर | ||
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+ | किताब------ बंज़र बासुरी | ||
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+ | किताब------ हिंदी युद्ध कांड वाल्मीकि रामायणं | ||
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+ | लेखक------- राज बहादुर दुबे बंजर जौनपुरी |
16:35, 13 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
किताब ----हिंदी सुन्दर कांड वाल्मीकि रामायण
ब्ल्विक्रम से न तपो धन से, यश कीर्ति से राम कभी न तुलेंगे कुबेर के वैभव की कोठरी, बंद तेरे इशारे पे ताले खुलेंगे | द्वार निहारेंगे देव खड़े सब, पंखे समीर तुम्हारे झलेंगे| मणि मोति न हार लसेंगे बदन,वर भूषण अगनि अंग झुलेंगे |
हँसा सके इन हिम्हत नलिनी को, चन्द्र प्रभा संयोग नहीं| विधि लिखा है इसके माथे पर, भुजबल अर्जित भोग नहीं |
जीवन हो परतंत्र जहाँ,
कुछ करने का अधिकार न हो|
धिक्कार है ऐसे जीवन को
जहाँ मरने का अधिकार न हो |
किताब ----- हिंदी चाणक्य नीति
जीव जगत में अनेक बंधन, प्रेम का बंध निराला है | भेद निपुण भंगुर कलियों के, वश मे रहने वाला है |
मधुप का सदा बहार जीवन , मदिर चमन मे जीता है | कुसमित कलियों के पराग का, उडि उडि मधु रस पीता है
किताब ---- गोवंश काव्यांजलि
जिस देश मे गोवंश का, रुधिर धरा पर बहता है | नहीं सुरक्षित देश, भूप, भी नहीं सुरक्षित रहता है |
किताब------- मजदूर
किताब------ बंज़र बासुरी
किताब------ हिंदी युद्ध कांड वाल्मीकि रामायणं
लेखक------- राज बहादुर दुबे बंजर जौनपुरी