Changes

रामदास / रघुवीर सहाय

1 byte added, 07:02, 23 नवम्बर 2011
{{KKPrasiddhRachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>चौड़ी सड़क गली पतली थी
दिन का समय घनी बदली थी
रामदास उस दिन उदास था
हाथ तौल कर चाकू मारा
छूटा लहू का फव्वारा
कहा नहीं था उसनें उसने आखिर उसकी हत्या होगी?
भीड़ ठेल कर लौट आया गया वहमरा हुआ पड़ा है रामदास यह
'देखो-देखो' बार बार कह
लोग निडर उस जगह खड़े रह
लगे बुलानें उन्हें, जिन्हें संशय था हत्या होगी।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,461
edits