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"हर कोई चाहता है / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर

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साधु ने भरथरी को
 
दिया वह फल—
 
दिया वह फल—
 
अमर होने का
 
अमर होने का
  
 
भरथरी ने रानी को
 
भरथरी ने रानी को
दे दिया
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            दे दिया
 
रानी ने प्रेमी को अपने
 
रानी ने प्रेमी को अपने
 
प्रेमी ने गणिका को
 
प्रेमी ने गणिका को
 
और गणिका ने लौटा दिया
 
और गणिका ने लौटा दिया
 
फिर भरथरी को वह
 
फिर भरथरी को वह
---भरथरी को वैराग्य हो
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भरथरी को वैराग्य हो
आया
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                    आया
  
 
वह नहीं समझ पाया:
 
वह नहीं समझ पाया:
 
हर कोई चाहता है
 
हर कोई चाहता है
 
अमर करना
 
अमर करना
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प्रेम को अपने
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5 अप्रैल 2010
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14:24, 26 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

साधु ने भरथरी को
दिया वह फल—
अमर होने का

भरथरी ने रानी को
            दे दिया
रानी ने प्रेमी को अपने
प्रेमी ने गणिका को
और गणिका ने लौटा दिया
फिर भरथरी को वह
— भरथरी को वैराग्य हो
                    आया

वह नहीं समझ पाया:
हर कोई चाहता है
अमर करना
प्रेम को अपने ।

5 अप्रैल 2010