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"हर हाल में बेजोड़ / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर

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00:55, 7 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण

तिनका हूँ--सूखता हुआ । लेकिन

फिर भी


जंगल का एक बेजोड़ हिस्सा । जब

हरा-भरा होने में था


तो

सूखने में भी हूँ


(रचनाकाल :6 अक्तूबर 1975)