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"गहरे तहखाने / अर्जुनदेव चारण" के अवतरणों में अंतर

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कलेजा ठंडा करने को
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ईश्वर को
तुम्हारा
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किसने देखा
बहाता है वह आसूं
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कभी रोते हुए
लोग उसे पहचानते हैं
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शायद इसीलिये
कहते हैं मेह
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तुमने
बाबुल इसी तरह
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कभी नहीं भरी हिचकी
बरसाया करता है
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अपना नेह।
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क्या गहरे तहखाने
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हम लोग
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इसी खातिर बनाते हैं मां ?
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12:51, 1 दिसम्बर 2011 का अवतरण


ईश्वर को
किसने देखा
कभी रोते हुए
शायद इसीलिये
तुमने
कभी नहीं भरी हिचकी

क्या गहरे तहखाने
हम लोग
इसी खातिर बनाते हैं मां ?