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"झलक आती / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर

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ने अँधियारे जंगल बीच
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घने अँधियारे जंगल बीच
 
बहा जाता गो गुपचुप
 
बहा जाता गो गुपचुप
 
कहीं झलक-सा जाता है
 
कहीं झलक-सा जाता है

11:43, 6 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

घने अँधियारे जंगल बीच
बहा जाता गो गुपचुप
कहीं झलक-सा जाता है
                   वह जल

तुम्हारी आँख में ज्यों
झलक आती
कभी कोई बूँद ।

5 नवम्बर 2009