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"जैसे पूजा में आँख भरे / भारत भूषण" के अवतरणों में अंतर
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मैं राग हुआ तेरे मनका यह देह हुई वंशी तेरी | मैं राग हुआ तेरे मनका यह देह हुई वंशी तेरी | ||
− | जूठी कर दे तो गीत | + | जूठी कर दे तो गीत बनूँ वृंदावन हो दुनिया मेरी |
फिर कोई मनमोहन दीखा | फिर कोई मनमोहन दीखा | ||
− | बादल से भीने | + | बादल से भीने आँचल में! |
− | अब रोम रोम में तू ही तू जागे | + | अब रोम रोम में तू ही तू जागे जागूँ सोये सोऊँ |
− | जादू छूटा किस तांत्रिक का मोती उपजें | + | जादू छूटा किस तांत्रिक का मोती उपजें आँसू बोऊँ |
− | + | ढाई आखर की ज्योति जगी | |
शब्दों के बीहड़ जंगल में! | शब्दों के बीहड़ जंगल में! | ||
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16:37, 19 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
जैसे पूजा में आँख भरे झर जाय अश्रु गंगाजल में
ऐसे ही मैं सिसका सिहरा
बिखरा तेरे वक्षस्थल में!
रामायण के पारायण सा होठों को तेरा नाम मिला
उड़ते बादल को घाटी के मंदिर में जा विश्राम मिला
ले गये तुम्हारे स्पर्श मुझे
अस्ताचल से उदयाचल में!
मैं राग हुआ तेरे मनका यह देह हुई वंशी तेरी
जूठी कर दे तो गीत बनूँ वृंदावन हो दुनिया मेरी
फिर कोई मनमोहन दीखा
बादल से भीने आँचल में!
अब रोम रोम में तू ही तू जागे जागूँ सोये सोऊँ
जादू छूटा किस तांत्रिक का मोती उपजें आँसू बोऊँ
ढाई आखर की ज्योति जगी
शब्दों के बीहड़ जंगल में!