भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नौवारिद / रेशमा हिंगोरानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेशमा हिंगोरानी |संग्रह= }} {{KKCatNazm}} नौ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:14, 30 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

नौवारिद<ref>नया आगन्तुक</ref>

लुभा गया कोई जाना सा अजनबी मुझको…
मेरे सियाह बियाबाँ में रौशनी भरने,
मेरी बेजान सी नब्जों को जाँफिज़ा<ref>जान डाल देना / तरो-ताज़ा कर देना</ref> करने,

कौन है,
कौन है तू,
अजनबी,
पता तो बता?

मेरी यादों के कटघरे में तू
मुज्रिम भी नहीं,

शरीक़-ए-ज़िंदगी<ref>जिंदगी भर का साथी</ref>,
न कोई हमसफ़र मेरा!

कौन तू अजनबी,
कहाँ से चला आया है?
मुझे पेहचानता है,
जानता नहीं है मगर!

कहाँ मिला था,
कब मिला था,
मुझे याद नहीं!

हाँ, एक धुँधला-सा,
साया जो हुआ करता था…

कभी नज़र तो न आया,
मगर छुपा भी न था,

दूर, जो दूर,
कहीं दूर रहा करता था...
अभी यहाँ, कभी वहाँ,

कहीं तू ही तो न था?

(Aug ’96)

शब्दार्थ
<references/>