भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रदूषण (हाइकु) / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= भावना कुँअर |संग्रह=तारों की चून...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
 
काले सर्प-सा धुआँ  
 
काले सर्प-सा धुआँ  
 
फन फैलाए
 
फन फैलाए
(आस)
 
  
 +
(आस)
 
छोड़ो ना तुम
 
छोड़ो ना तुम
 
  यूँ आस का दामन
 
  यूँ आस का दामन
 
  होगा सवेरा
 
  होगा सवेरा
 +
 
(सफ़र)
 
(सफ़र)
 
जब भी मिली
 
जब भी मिली
 
  हमें तो सफ़र में  
 
  हमें तो सफ़र में  
 
  धूप ही मिली
 
  धूप ही मिली
 +
 
(आँधी )
 
(आँधी )
 
तेज थी आँधी  
 
तेज थी आँधी  
 
टूटा गुलमोहर  
 
टूटा गुलमोहर  
 
सपनों –जैसा
 
सपनों –जैसा
 +
 +
(पतझर)
 +
शर्माई लता
 +
ढूँढती फिरे वस्त्र
 +
पतझर में
  
 
<poem>
 
<poem>

09:09, 19 मार्च 2012 का अवतरण

(प्रदूषण)
आसमान में
काले सर्प-सा धुआँ
फन फैलाए

(आस)
छोड़ो ना तुम
 यूँ आस का दामन
 होगा सवेरा

(सफ़र)
जब भी मिली
 हमें तो सफ़र में
 धूप ही मिली

(आँधी )
तेज थी आँधी
टूटा गुलमोहर
सपनों –जैसा

(पतझर)
शर्माई लता
ढूँढती फिरे वस्त्र
पतझर में