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कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी / पृष्ठ 3
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02:10, 12 अप्रैल 2012
वर्षा रुकती थी नहीं, लीनी क्षुधा सताय |
अंग व अंग मिलाकर नैनन, नैनन से प्रभु नीर बहाये।
नेह निबाहन हार प्रभो अति स्नेह सुधामय बोल सुनाये।
</poem>
Dr. ashok shukla
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