भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हाइकू / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' |संग्र...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 20: पंक्ति 20:
 
बीते बरसों
 
बीते बरसों
 
अभी तक मन में  
 
अभी तक मन में  
खिली सरसो
+
खिली सरसों
 
(5)
 
(5)
 
दर्द था मेरा   
 
दर्द था मेरा   

12:43, 16 अप्रैल 2012 का अवतरण


(1)
खिलखिलाए
पहाड़ी नदी जैसी
मेरी मुनिया’
(2)
तुतली बोली
आरती में किसी ने
मिसरी घोली-
(3)

(4)
बीते बरसों
अभी तक मन में
खिली सरसों
(5)
दर्द था मेरा
मिले शब्द तुम्हारे
गीत बने थे