भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"काग़ज़ / गीत चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (काग़ज़ /गीत चतुर्वेदी का नाम बदलकर काग़ज़ / गीत चतुर्वेदी कर दिया गया है)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=गीत चतुर्वेदी
 
|रचनाकार=गीत चतुर्वेदी
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
चारों तरफ़ बिखरे हैं काग़ज़
 
चारों तरफ़ बिखरे हैं काग़ज़
 
 
एक काग़ज़ पर है किसी ज़माने का गीत
 
एक काग़ज़ पर है किसी ज़माने का गीत
 
 
एक पर घोड़ा, थोड़ी हरी घास
 
एक पर घोड़ा, थोड़ी हरी घास
 
 
एक पर प्रेम  
 
एक पर प्रेम  
 
 
एक काग़ज़ पर नामकरण का न्यौता था
 
एक काग़ज़ पर नामकरण का न्यौता था
 
 
एक पर शोक  
 
एक पर शोक  
 
 
एक पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था क़त्ल
 
एक पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था क़त्ल
 
 
एक ऐसी हालत में था कि  
 
एक ऐसी हालत में था कि  
 
 
उस पर लिखा पढ़ा नहीं जा सकता
 
उस पर लिखा पढ़ा नहीं जा सकता
 
 
एक पर फ़ोन नंबर लिखे थे
 
एक पर फ़ोन नंबर लिखे थे
 
 
पर उनके नाम नहीं थे
 
पर उनके नाम नहीं थे
 
 
एक ठसाठस भरा था शब्दों से
 
एक ठसाठस भरा था शब्दों से
 
 
एक पर पोंकती हुई क़लम के धब्बे थे
 
एक पर पोंकती हुई क़लम के धब्बे थे
 
 
एक पर उंगलियों की मैल
 
एक पर उंगलियों की मैल
 
 
एक ने अब भी अपनी तहों में समोसे की गंध दाब रखी थी
 
एक ने अब भी अपनी तहों में समोसे की गंध दाब रखी थी
 
 
एक काग़ज़ को तहकर किसी ने हवाई जहाज़ बनाया था
 
एक काग़ज़ को तहकर किसी ने हवाई जहाज़ बनाया था
 
 
एक नाव बनने के इंतज़ार में था
 
एक नाव बनने के इंतज़ार में था
 
 
एक अपने पीलेपन से मूल्यवान था
 
एक अपने पीलेपन से मूल्यवान था
 
 
एक अपनी सफ़ेदी से
 
एक अपनी सफ़ेदी से
 
 
एक को हरा पत्ता कहा जाता था
 
एक को हरा पत्ता कहा जाता था
 
 
एक काग़ज़ बार-बार उठकर आता  
 
एक काग़ज़ बार-बार उठकर आता  
 
 
चाहते हुए कि उसके हाशिए पर कुछ लिखा जाए
 
चाहते हुए कि उसके हाशिए पर कुछ लिखा जाए
 
 
एक काग़ज़ कल आएगा
 
एक काग़ज़ कल आएगा
 
 
और इन सबके बीच रहने लगेगा
 
और इन सबके बीच रहने लगेगा
 
 
और इनमें कभी झगड़ा नहीं होगा
 
और इनमें कभी झगड़ा नहीं होगा
 +
</poem>

16:37, 16 अप्रैल 2012 का अवतरण

चारों तरफ़ बिखरे हैं काग़ज़
एक काग़ज़ पर है किसी ज़माने का गीत
एक पर घोड़ा, थोड़ी हरी घास
एक पर प्रेम
एक काग़ज़ पर नामकरण का न्यौता था
एक पर शोक
एक पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था क़त्ल
एक ऐसी हालत में था कि
उस पर लिखा पढ़ा नहीं जा सकता
एक पर फ़ोन नंबर लिखे थे
पर उनके नाम नहीं थे
एक ठसाठस भरा था शब्दों से
एक पर पोंकती हुई क़लम के धब्बे थे
एक पर उंगलियों की मैल
एक ने अब भी अपनी तहों में समोसे की गंध दाब रखी थी
एक काग़ज़ को तहकर किसी ने हवाई जहाज़ बनाया था
एक नाव बनने के इंतज़ार में था
एक अपने पीलेपन से मूल्यवान था
एक अपनी सफ़ेदी से
एक को हरा पत्ता कहा जाता था
एक काग़ज़ बार-बार उठकर आता
चाहते हुए कि उसके हाशिए पर कुछ लिखा जाए
एक काग़ज़ कल आएगा
और इन सबके बीच रहने लगेगा
और इनमें कभी झगड़ा नहीं होगा