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नफ़रत / विस्साव शिम्बोर्स्का
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17:28, 17 अप्रैल 2012
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देखो, तो अब भी कितनी चुस्त-दुरुस्त और पुरअसर है
तो सिर्फ़ नफ़रत।
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अनुवाद: विजय अहलूवालिया
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