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"हाइकु 51-60 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

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<poem>
 
51
 
उड़ती  नहीं
 
आटे की चिरइया
 
ओ मेरी मैया !
 
52
 
अभी ये छोटी
 
उड़ेगी तब –जब
 
खाएगी रोटी ।
 
53
 
रोटी ही लाओ
 
माँ इसको खिलाओ
 
उड़ेगी फुर्र !
 
54
 
रोटी खाकर
 
ये  फुर्र से उड़ेगी
 
हाथ न आए
 
-0-
 
रक्षाबन्धन-
 
55
 
बहने हैं छाँव
 
शीतलता  मन की
 
ये जीवन की ।
 
56
 
बहनें आईं
 
खुशबू लहराई
 
राखी सजाई ।
 
57
 
राखी के धागे
 
मधुर रस -पागे
 
बहिनें बाँधें ।
 
58
 
गले से लगी
 
सालों बाद बहिन
 
नदी उमगी ।
 
59
 
बहिनें सभी
 
मेरी आँखों का नूर
 
पास या दूर ।
 
60
 
उठी थी पीर
 
बहिनों के मन में
 
मैं था अधीर ।
 
-0-
 
</poem>
 

18:52, 18 मई 2012 के समय का अवतरण