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"सगुन-पाखी / सुधा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
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+ | लौट कर वे दिन | ||
+ | सगुन-पाखी | ||
+ | आज भोर होते ही | ||
+ | देह थिरकी | ||
+ | आँख शुभ फरकी | ||
+ | हँसी सरसों | ||
+ | अनगिनत खिलीं | ||
+ | कुईं की कली | ||
+ | चाह-चिड़िया उड़ी | ||
+ | तुम्हें पाने को | ||
+ | नापती आकाश है | ||
+ | मुक्ति लाने को | ||
+ | फूल महक उठे | ||
+ | हुई बावरी | ||
+ | गीत गाती फिर ती | ||
+ | मुग्ध तितली | ||
+ | सुमन-झुरमुट | ||
+ | उकसा रहे | ||
+ | भ्रमर रस-लोभी | ||
+ | मँडरा रहे | ||
+ | गूँजती उपवन | ||
+ | ध्वनि मर्मरी | ||
+ | मोहिनी पूर्वा हँसी | ||
+ | उषा की शोखी | ||
+ | बड़ी मन भावन | ||
+ | डग भरती | ||
+ | लज्जानत आनन | ||
+ | आए साजन | ||
+ | चुपके से आकर | ||
+ | रोली मल दी | ||
+ | चल दी जल्दी-जल्दी | ||
+ | ऐश्वर्यमयी | ||
+ | आई ज्योति-पालकी | ||
+ | |||
+ | शाश्वत प्रेम | ||
+ | आदित्य व उषा का | ||
+ | जग है साखी | ||
+ | दिन की शाख़, टेरा | ||
+ | एक सगुन-पाखी | ||
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15:51, 21 मई 2012 का अवतरण
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आ गए फिर
लौट कर वे दिन
सगुन-पाखी
आज भोर होते ही
देह थिरकी
आँख शुभ फरकी
हँसी सरसों
अनगिनत खिलीं
कुईं की कली
चाह-चिड़िया उड़ी
तुम्हें पाने को
नापती आकाश है
मुक्ति लाने को
फूल महक उठे
हुई बावरी
गीत गाती फिर ती
मुग्ध तितली
सुमन-झुरमुट
उकसा रहे
भ्रमर रस-लोभी
मँडरा रहे
गूँजती उपवन
ध्वनि मर्मरी
मोहिनी पूर्वा हँसी
उषा की शोखी
बड़ी मन भावन
डग भरती
लज्जानत आनन
आए साजन
चुपके से आकर
रोली मल दी
चल दी जल्दी-जल्दी
ऐश्वर्यमयी
आई ज्योति-पालकी
शाश्वत प्रेम
आदित्य व उषा का
जग है साखी
दिन की शाख़, टेरा
एक सगुन-पाखी
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