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16:17, 15 जून 2012 का अवतरण
आमीन
रचनाकार | आलोक श्रीवास्तव-१ |
---|---|
प्रकाशक | राजकमल प्रकाशन,1-बी, नेताजी सुभाष मार्ग, नई दिल्ली-110 002 |
वर्ष | 2007 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़लें, दोहे, नज़्में, गीत |
विधा | |
पृष्ठ | 92 |
ISBN | 978-81-267-1430-8 |
विविध | 2008 के अन्तराष्ट्रीय पूश्किन सम्मान से सम्मानित रचना |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
दो भूमिकाएँ
ग़ज़लें
- ले गया दिल में दबा कर राज कोई / आलोक श्रीवास्तव-१
- चिंतन, दर्शन, जीवन, सर्जन / आलोक श्रीवास्तव-१
- घर की बुनियादें, दीवारें / आलोक श्रीवास्तव-१
- धड़कते, साँस लेते, रुकते / आलोक श्रीवास्तव-१
- सखि पिया को जो मैं न देखूँ / आलोक श्रीवास्तव-१
- झिलमिलाते हुए दिन रात हमारे लेकर / आलोक श्रीवास्तव-१
- तुम सोच रहे हो बस, / आलोक श्रीवास्तव-१
- अगर सफ़र में मेरे साथ मेरा यार चले / आलोक श्रीवास्तव-१
- अब तो ख़ुशी के नाम पर कुछ भी नहीं रहा / आलोक श्रीवास्तव-१
- इक हुनर है वो भी विरसे में मिला है / आलोक श्रीवास्तव-१
- ये नफ़्रतों की सदाएँ, वतन का क्या होगा / आलोक श्रीवास्तव-१
- वो दौर दिखा जिसमें इन्सान की ख़ूशबू हो / आलोक श्रीवास्तव-१
- हम तो ये बात जान के हैरान हैं बहुत / आलोक श्रीवास्तव-१
- ठीक हुआ जो बिक गए सैनिक / आलोक श्रीवास्तव-१
- बूढ़ा टपरा, टूटा छप्पर और उस पर बरसातें / आलोक श्रीवास्तव-१
- तेरा सब कुछ मेरे अन्दर बम भोले / आलोक श्रीवास्तव-१
- गाँव में आज भी शराफ़त है / आलोक श्रीवास्तव-१
- इतनी सी बात आप समझते नहीं हुजूर / आलोक श्रीवास्तव-१
- मुझे सिरे से पकड़ कर उधेड़ देती है / आलोक श्रीवास्तव-१
- हमने दुनिया की तरफ़ देखा नहीं / आलोक श्रीवास्तव-१
- जब भी तक़दीर का हल्का-सा इशारा होगा / आलोक श्रीवास्तव-१
- सारा बदन हयात की ख़ुशबू से भर गया / आलोक श्रीवास्तव-१
- बेवफ़ा है कि बावफ़ा क्या है / आलोक श्रीवास्तव-१
- मंज़िलों पर नहीं है नज़र आजकल / आलोक श्रीवास्तव-१
- रोज़ ख़्वाबो में आकर चल दूंगा / आलोक श्रीवास्तव-१
- तू वफ़ा करके भूल जा मुझको / आलोक श्रीवास्तव-१
- हँसाते हँसाते रुलाने की बातें / आलोक श्रीवास्तव-१
- ’शराफ़त का ज़माना’ चाहता है! / आलोक श्रीवास्तव-१
- मुद्दतों ख़ुद की कुछ ख़बर न लगे / आलोक श्रीवास्तव-१
- मेरे हाथ लग गया है, कोई रौशनी का दाना / आलोक श्रीवास्तव-१
- ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं / आलोक श्रीवास्तव-१
- ज़रा पाने की चाहत में सब कुछ छूट जाता है / आलोक श्रीवास्तव-१
- हरेक लम्हा उजालों के दिल में गड़ता हुआ / आलोक श्रीवास्तव-१
- किसी और ने तो बुना नहीं, मेरा आस्माँ / आलोक श्रीवास्तव-१
- मंज़िल पे ध्यान हमने ज़रा भी अगर दिया / आलोक श्रीवास्तव-१
- जाड़े के बर्फ़ीले दिन / आलोक श्रीवास्तव-१
- वही आंगन, वही खिड़की, वही दर याद आता है / आलोक श्रीवास्तव-१
- अपने अलावा ग़ौरतलब और कुछ न था / आलोक श्रीवास्तव-१
- ख़ामोश रास्तों पे नई दास्ताँ लिखँ / आलोक श्रीवास्तव-१
- साथ गुज़रे जो तेरे वही शाम है / आलोक श्रीवास्तव-१
- तू जहाँ तक कहे उम्मीद वहाँ तक रक्खूँ / आलोक श्रीवास्तव-१
- हाँ ये सच है, गुज़रे दिन की बातें अक्सर करता है / आलोक श्रीवास्तव-१
दोहे
नज़्में और गीत
- आमीन. / आलोक श्रीवास्तव-१
- सरहद पार के दोस्त के नाम... / आलोक श्रीवास्तव-१
- आमद / आलोक श्रीवास्तव-१
- मुहब्बत... / आलोक श्रीवास्तव-१
- कई बातें... / आलोक श्रीवास्तव-१
- कोलाज-1 / आलोक श्रीवास्तव-१
- कोलाज-2 / आलोक श्रीवास्तव-१
- फ़िक्र / आलोक श्रीवास्तव-१
- अहद / आलोक श्रीवास्तव-१
- ख़्वाहिशें / आलोक श्रीवास्तव-१
- ग़फ़्लत / आलोक श्रीवास्तव-१
- तोहफ़ा / आलोक श्रीवास्तव-१
- वो ख़त... / आलोक श्रीवास्तव-१
- वो लड़की... / आलोक श्रीवास्तव-१
- हमेशा / आलोक श्रीवास्तव-१
- निस्बत / आलोक श्रीवास्तव-१
- अपील / आलोक श्रीवास्तव-१