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"अरविन्द श्रीवास्तव / परिचय" के अवतरणों में अंतर

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'''प्रकाशित:''' वागर्थ, वसुधा, परिकथा, दोआबा, पाखी, हंस, उद्भावना, साक्ष्य (बिहार विधान परिषद), वर्तमान साहित्य, अक्षर पर्व, कृति ओर, प्रतिश्रुति, शेष, जनपथ,  साक्षात्कार, देशज, दस्तावेज, उत्तरार्द्ध, सहचर, कारखाना, अभिघा, सारांश, सरोकार, प्रखर, कथाबिंव, योजनगंधा, औरत , आकल्प, शैली, अपना पैग़ाम, संभवा, कला-अभिप्राय, रास्ता, ये पल, मंडल विचार, क्षितिज, आदि ।  
 
'''प्रकाशित:''' वागर्थ, वसुधा, परिकथा, दोआबा, पाखी, हंस, उद्भावना, साक्ष्य (बिहार विधान परिषद), वर्तमान साहित्य, अक्षर पर्व, कृति ओर, प्रतिश्रुति, शेष, जनपथ,  साक्षात्कार, देशज, दस्तावेज, उत्तरार्द्ध, सहचर, कारखाना, अभिघा, सारांश, सरोकार, प्रखर, कथाबिंव, योजनगंधा, औरत , आकल्प, शैली, अपना पैग़ाम, संभवा, कला-अभिप्राय, रास्ता, ये पल, मंडल विचार, क्षितिज, आदि ।  
  
'''कृतियाँ:''' ` कैद हैं स्वर सारे´, `एक और दुनिया के बारे में´  एवं [[अफ़सोस के लिए कुछ शब्द]]]http://janshabd.blogspot.com/2009/11/blog-post_07.html (राजभाषा विभाग-मंत्रिमंडल सचिवालय, बिहार सरकार से प्राप्त आर्थिक अनुदान से प्रकाशित)
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'''कृतियाँ:''' ` कैद हैं स्वर सारे´, `एक और दुनिया के बारे में´  एवं [[अफ़सोस के लिए कुछ शब्द / अरविन्द श्रीवास्तव|अफ़सोस के लिए कुछ शब्द ]] [http://janshabd.blogspot.com/2009/11/blog-post_07.html कविता कभी मरेगी नहीं ] (राजभाषा विभाग-मंत्रिमंडल सचिवालय, बिहार सरकार से प्राप्त आर्थिक अनुदान से प्रकाशित)
 
संपादन और संयोजन का भी आपको अनुभव है। कारखाना ( जर्मन साहित्य पर केन्द्रित अंक-27) का संयोजन । ’सिलसिला´ पत्रिका एवं `सुरभि´का संपादन। हिन्दी,उर्दू एवं मैथिली पुस्तक एवं पत्रिकाओं में रेखाकंन- आवरण, क्षे़त्रीय फिल्मों में अभिनय प्रसारण : आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से काव्य / आलेख ।
 
संपादन और संयोजन का भी आपको अनुभव है। कारखाना ( जर्मन साहित्य पर केन्द्रित अंक-27) का संयोजन । ’सिलसिला´ पत्रिका एवं `सुरभि´का संपादन। हिन्दी,उर्दू एवं मैथिली पुस्तक एवं पत्रिकाओं में रेखाकंन- आवरण, क्षे़त्रीय फिल्मों में अभिनय प्रसारण : आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से काव्य / आलेख ।
  

09:17, 16 जून 2012 का अवतरण

बिहार से हिन्दी के युवा कवि हैं, लेखक हैं। संपादन-रेखांकन और अभिनय -प्रसारण जैसे कई विधाओं में आप अक्सर देखे जाते हैं। जितना आप प्रिंट पत्रिकाओं में छपते हैं, उतनी ही आपकी सक्रियता अंतर्जाल पत्रिकाओं में भी है।

जन्म तिथि : 2 जनवरी 1964

पिता : श्री हरिशंकर श्रीवास्तव `शलभ´

शिक्षा : एम. ए. द्वय (इतिहास और राजनीति विज्ञान) पी .एच. डी. (मधेपुरा जिला का ऐतिहासिक सर्वेक्षण -1887-1947)

प्रकाशित: वागर्थ, वसुधा, परिकथा, दोआबा, पाखी, हंस, उद्भावना, साक्ष्य (बिहार विधान परिषद), वर्तमान साहित्य, अक्षर पर्व, कृति ओर, प्रतिश्रुति, शेष, जनपथ, साक्षात्कार, देशज, दस्तावेज, उत्तरार्द्ध, सहचर, कारखाना, अभिघा, सारांश, सरोकार, प्रखर, कथाबिंव, योजनगंधा, औरत , आकल्प, शैली, अपना पैग़ाम, संभवा, कला-अभिप्राय, रास्ता, ये पल, मंडल विचार, क्षितिज, आदि ।

कृतियाँ: ` कैद हैं स्वर सारे´, `एक और दुनिया के बारे में´ एवं अफ़सोस के लिए कुछ शब्द कविता कभी मरेगी नहीं (राजभाषा विभाग-मंत्रिमंडल सचिवालय, बिहार सरकार से प्राप्त आर्थिक अनुदान से प्रकाशित) संपादन और संयोजन का भी आपको अनुभव है। कारखाना ( जर्मन साहित्य पर केन्द्रित अंक-27) का संयोजन । ’सिलसिला´ पत्रिका एवं `सुरभि´का संपादन। हिन्दी,उर्दू एवं मैथिली पुस्तक एवं पत्रिकाओं में रेखाकंन- आवरण, क्षे़त्रीय फिल्मों में अभिनय प्रसारण : आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से काव्य / आलेख ।

सम्मान: स्थानीय स्तर पर कई सम्मान सहित सह्स्राब्दी विश्व हिन्दी सम्मेलन, नई दिल्ली में सम्मानित, ’हिन्दी ब्लोग प्रतिभा सम्मान-२०११’ (उत्तराखंड के मुख्यमंत्री- रमेश पोखरियाल ’निशक’ द्वारा हिन्दी भवन, नई दिल्ली में सम्मानित) अनेक प्रसारण केन्द्रों - रेडियो बर्लिन इन्टरनेशनल, रे. ताशकंद, रे.बुडापेस्ट आदि द्वारा पुरस्कृत,

सम्प्रति - लेखन, अध्यापन, कम्पयूटर एवं सांस्कृतिक कार्य से संबद्धता वेब पत्रिका 'जनशब्द' http://janshabd.blogspot.com एवं ‘खबर कोसी ’ - http://khabarkosi.blogspot.com का संपादन। संपर्क- कला-कुटीर अशेष मार्ग, मधेपुरा, बिहार-852113(बिहार) फ़ोन : 094310 80862