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"खोने को हैं बेताब( हाइकु) /रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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('१- ढोती है रात<br> मनुज की पीडाएं<br> भोर की आस |<br><br> २- मुखौट...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
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१- ढोती है रात<br>
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१- ढोती है रात
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२- मुखौटे लगा<br>
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खोने को हैं बेताब<br>
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खोने को हैं बेताब
चैटिंग – यार |<br><br>
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३- हैं अनजान<br>
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अडोस-पड़ोस से<br>
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अडोस-पड़ोस से
सर्फिंग -प्यार |<br><br>
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४- ऊषा मुस्काई<br>
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भौंरे गुनगुनाए<br>
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भौंरे गुनगुनाए
ताजगी आई |<br><br>
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५- आँगन धूप<br>
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भागती फिर रही<br>
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६- आसमां झुक<br>
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६- आसमां झुक
धरा से कहता ये<br>
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धरा से कहता ये
तुझ से ही मैं |<br><br>
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तुझ से ही मैं |<br>
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10:59, 22 जून 2012 का अवतरण

    
१- ढोती है रात
मनुज की पीडाएं
भोर की आस |


२- मुखौटे लगा
खोने को हैं बेताब
चैटिंग – यार |


३- हैं अनजान
अडोस-पड़ोस से
सर्फिंग -प्यार |


४- ऊषा मुस्काई
भौंरे गुनगुनाए
ताजगी आई |


५- आँगन धूप
भागती फिर रही
छत-मुडेर |


६- आसमां झुक
धरा से कहता ये
तुझ से ही मैं |