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"पराजय है याद / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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नहीं, मुझ को नहीं अपने दर्द का अभिमान---
 
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मानता हूँ मैं पराजय है तुम्हारी याद।
 
मानता हूँ मैं पराजय है तुम्हारी याद।
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'''काशी, 14 नवम्बर, 1946'''
 
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12:07, 4 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

भोर बेला--नदी तट की घंटियों का नाद।
चोट खा कर जग उठा सोया हुआ अवसाद।
नहीं, मुझ को नहीं अपने दर्द का अभिमान---
मानता हूँ मैं पराजय है तुम्हारी याद।

काशी, 14 नवम्बर, 1946