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खुल गई नाव / अज्ञेय

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|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=इन्द्र-धनु रौंदे हुए थे / अज्ञेय; सुनहरे शैवाल / अज्ञेय
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व्यथा विदा की
जागी धीरे-धीरे।
 
'''स्वेज अदन (जहाज में), 5 फरवरी, 1956'''
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