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यादों के देवल के
 
यादों के देवल के
 
उढ़के दो द्वार खुले
 
उढ़के दो द्वार खुले
प्यार के तरीके
 
प्यार के तरीके तो और भी होते हैं
 
पर मेरे सपने में मेरा हाथ
 
चुपचाप
 
तुम्हारे हाथ को सहलाता रहा
 
सपने की रात भर...
 
  
 
'''नयी दिल्ली, जून, 1980'''
 
'''नयी दिल्ली, जून, 1980'''
 
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16:18, 10 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

अमराई महक उठी
हिय की गहराई में
पहचानें लहक उठीं!
तितली के पंख खुले
यादों के देवल के
उढ़के दो द्वार खुले

नयी दिल्ली, जून, 1980