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"मैंने देखा एक बूँद / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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उछली सागर के झाग से
 
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रँगी गई क्षण भर
 
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हर आलोक-छुआ अपनापन
 
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है उन्मोचन
 
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नश्वरता के दाग से !
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'''नयी दिल्ली, 5 मार्च, 1958'''
 
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11:15, 13 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

मैंने देखा
एक बूँद सहसा
उछली सागर के झाग से
रँगी गई क्षण भर
ढलते सूरज की आग से।

मुझको दीख गया :
सूने विराट् के सम्मुख
हर आलोक-छुआ अपनापन
है उन्मोचन
नश्वरता के दाग से!

नयी दिल्ली, 5 मार्च, 1958