भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इस बारिश में / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश सक्सेना |संग्रह=सुनो चारुशी...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:23, 13 सितम्बर 2012 का अवतरण
जिसके पास चली गयी मेरी ज़मीन
उसी के पास अब मेरी
बारिश भी चली गयी
अब जो घिरती हैं काली घटाएं
उसी के लिए घिरती है
कूकती हैं कोयलें उसी के लिए
उसी के लिए उठती है
धरती के सीने से सोंधी सुगंध
अब नहीं मेरे लिए
हल नही बैल नही
खेतों की गैल नहीं
एक हरी बूँद नहीं
तोते नहीं, ताल नहीं, नदी नहीं, आर्द्रा नक्षत्र नहीं,
कजरी मल्हाहर नहीं मेरे लिए
जिसकी नहीं कोई जमीन
उसका नहीं कोई आसमान।