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− | + | शील ने कितने चुभोए | |
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− | + | ठुमकती फिरती वसंती हवा | |
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− | + | मदमस्त मधुबन में । | |
+ | फूल पर मधुमास करता नृत्य | ||
+ | ता धिन-धिन | ||
+ | अलगनी पर टँक गए | ||
+ | लो, धूपवाले दिन । | ||
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+ | पीतवसना घूमती सरसों | ||
+ | लगा पाँखें, | ||
+ | मस्त अलसी की लजाती | ||
+ | नीलमणि आँखें । | ||
+ | ताल में धर पाँव | ||
+ | उतरे चाँदनी पल छिन | ||
+ | अलगनी पर टँक गए | ||
+ | लो, धूपवाले दिन । | ||
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+ | दूर वंशी के स्वरों में | ||
+ | गूँजता कानन, | ||
+ | वर्जना टूटी | ||
+ | खिला सौ चाह का आनन । | ||
+ | श्याम को श्यामा पुकारे | ||
+ | साँस भर गिन-गिन | ||
+ | अलगनी पर टँक गए | ||
+ | लो, धूपवाले दिन । | ||
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12:55, 17 दिसम्बर 2012 का अवतरण
धूप वाले दिन
कवि: देवेन्द्र आर्य
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शील ने कितने चुभोए कोहरे के पिन अलगनी पर टँक गए लो, धूपवाले दिन । ठुमकती फिरती वसंती हवा उपवन में, गीत गातीं कोयलें मदमस्त मधुबन में । फूल पर मधुमास करता नृत्य ता धिन-धिन अलगनी पर टँक गए लो, धूपवाले दिन । पीतवसना घूमती सरसों लगा पाँखें, मस्त अलसी की लजाती नीलमणि आँखें । ताल में धर पाँव उतरे चाँदनी पल छिन अलगनी पर टँक गए लो, धूपवाले दिन । दूर वंशी के स्वरों में गूँजता कानन, वर्जना टूटी खिला सौ चाह का आनन । श्याम को श्यामा पुकारे साँस भर गिन-गिन अलगनी पर टँक गए लो, धूपवाले दिन ।