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"धरती की सतह पर / अदम गोंडवी" के अवतरणों में अंतर
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15:53, 20 दिसम्बर 2012 के समय का अवतरण
धरती की सतह पर
रचनाकार | अदम गोंडवी |
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प्रकाशक | अनुज प्रकाशन, इन्द्रप्रस्थ मार्केट, बाबागंज, प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश। |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़लें |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | |
ISBN | 978-93-81467-41-1 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे / अदम गोंडवी
- ये महाभारत है जिसके पात्र सारे आ गए / अदम गोंडवी
- विकट बाढ़ की करुण कहानी, नदियों का संन्यास लिखा है / अदम गोंडवी
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- ये दुखड़ा रो रहे थे आज पंडित जी शिवाले में / अदम गोंडवी
- हीरामन बेज़ार है उफ़्! किस कदर महँगाई से / अदम गोंडवी
- ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी / अदम गोंडवी
- टी०वी० से अख़बार तक ग़र सेक्स की बौछार हो / अदम गोंडवी
- अदम सुकून में जब कायनात होती है / अदम गोंडवी
- ये समझते हैं, खिले हैं तो फिर बिखरना है / अदम गोंडवी
- जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए / अदम गोंडवी
- मुक्तिकामी चेतना, अभ्यर्थना इतिहास की / अदम गोंडवी
- जो 'डलहौजी' न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे / अदम गोंडवी
- घर में ठण्डे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है / अदम गोंडवी
- महेज़ सड़कों पे गड्ढे हैं, न बिजली है न पानी है / अदम गोंडवी
- आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे / अदम गोंडवी
- वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं / अदम गोंडवी
- ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में / अदम गोंडवी
- भूख के अहसास को शेरो-सुखन तक ले चलो / अदम गोंडवी
- सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद है / अदम गोंडवी
- जुल्फ - अंगडाई - तबस्सुम / अदम गोंडवी
- जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में / अदम गोंडवी
- उनका दावा मुफ़लिसी का मोर्चा सर हो गया / अदम गोंडवी
- यूँ ही राहे-ज़ीस्त में दरपेश दुश्वारी रहे / अदम गोंडवी
- चाँद है ज़ेरे-क़दम, सूरज खिलौना हो गया / अदम गोंडवी
- भुखमरी की ज़द्फ़ में है या दार के साए में है / अदम गोंडवी
- महल से झोंपड़ी तक एकदम घुटती उदासी है / अदम गोंडवी
- पहले जनाब कोई शिगूफ़ा उछाल दो / अदम गोंडवी
- नीलोफ़र, शबनम नहीं, अंगार की बातें करो / अदम गोंडवी
- वल्लाह, किस जुनूँ के सताए हुए हैं लोग / अदम गोंडवी
- तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है / अदम गोंडवी
- किसी का रंग धानी है, किसी का रंग पीला है / अदम गोंडवी
- ताला लगा के आप हमारी ज़बान को / अदम गोंडवी
- जिस्म की भूख कहें या हवस का ज्वार कहें / अदम गोंडवी
- बेचता यूँ ही नहीं है आदमी ईमान को / अदम गोंडवी
- वो जिसके हाथ में छाले हैं, पैरों में बिवाई है / अदम गोंडवी
- कब तक सहेंगे ज़ुल्म रफ़ीक़ो-रक़ीब के / अदम गोंडवी
- दर्द के दरिया मेम अश्कों की रवानी है ग़ज़ल / अदम गोंडवी
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- कहीं फागुन की दिलकश शाम फ़ाक़ों में गुज़र जाए / अदम गोंडवी
- काजू भुने हैं प्लेट में, व्हिस्की गिलास में / अदम गोंडवी
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- दो अदद आँख तो हर इक के पास होती है / अदम गोंडवी
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