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"प्रेम की स्मृतियाँ-2 / येहूदा आमिखाई" के अवतरणों में अंतर

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हम उन बच्चों की तरह थे जो समुद्र से बाहर आना नहीं चाहते  
 
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इस तरह नीली रातें आईं
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हम क्या वापस ला पाए अपने बाक़ी के जीवन के लिए  
 
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हमने अपने बीच एक अजीब-सा बंदोबस्त किया  
 
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यदि तुम मेरे पास आती हो तो मैं आऊँगा तुम्हारे पास  
जलती हुई झाड़ियों सा, जो ख़त्म नहीं कर सकेगा ख़ुद को
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अजीब सी शर्तें और स्थितियाँ
 
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यदि तुम भूल जाती हो मुझे तो मैं तुम्हें भूल जाऊँगा
अपने जीवन के अखीर तक
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हमने अपने बीच एक अजीब सा बंदोबस्त किया  
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00:10, 12 फ़रवरी 2013 का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: येहूदा आमिखाई  » संग्रह: धरती जानती है
»  प्रेम की स्मृतियाँ-2

शर्तें और स्थितियाँ

हम उन बच्चों की तरह थे जो समुद्र से बाहर आना नहीं चाहते
इस तरह नीली रातें आईं
और फिर काली

हम क्या वापस ला पाए अपने बाक़ी के जीवन के लिए
एक लपट भरा चेहरा ?
जलती हुई झाड़ियों-सा, जो ख़त्म नहीं कर सकेगा ख़ुद को
अपने जीवन के आख़िर तक

हमने अपने बीच एक अजीब-सा बंदोबस्त किया
यदि तुम मेरे पास आती हो तो मैं आऊँगा तुम्हारे पास
अजीब सी शर्तें और स्थितियाँ —
यदि तुम भूल जाती हो मुझे तो मैं तुम्हें भूल जाऊँगा
अजीब से करार और प्यारी-सी बातें

बुरी बातें तो हमे करनी थीं हमारे
बाक़ी के जीवन में !