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"आवारा शब्द / प्रतिभा सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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20:15, 8 मार्च 2013 के समय का अवतरण

प्रेम, प्यार, मोहब्बत,
(बड़े भड़कीले हो गये हैं)
अब मंच पर मचलते, अदायें दिखाते
सडकों पर आवारा घूमते,
घरों की छतों, छज्जों खिडकियों से
अपनी दमक दिखा जाते हैं!
अब तो रेलों, बसों और स्कूटरों पर इनके,
खुल कर दर्शन होते हैं!

हाई स्कूल से लेकर
बडे बडे कॉलेजों में तो भरमार है!
चुस्त, बढिया, पारदर्शी कपड़े पहने,
इनकी बाँकी अदा
विज्ञापनों मे देखते ही बनती है!
अब ये बडे आवारा हो गये हैं,
घरों में दुबके रहने का,
भीरु स्वभाव छोड कर
सरे आम बाजारों में
निकल पडे हैं!