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"ग़म न हो पास / जानकीवल्लभ शास्त्री" के अवतरणों में अंतर
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ग़म न हो पास इसी से उदास मेरा मन । | ग़म न हो पास इसी से उदास मेरा मन । | ||
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साँस चलती है, चिहुँक चेतता नहीं है तन ।। | साँस चलती है, चिहुँक चेतता नहीं है तन ।। | ||
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नींद ऐसी न किसी और को आई होगी, | नींद ऐसी न किसी और को आई होगी, | ||
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जाग कर ढूँढती धरती कहाँ है मेरा गगन । | जाग कर ढूँढती धरती कहाँ है मेरा गगन । | ||
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मौसमी गुल हो निछावर, बहार तुम पर ही, | मौसमी गुल हो निछावर, बहार तुम पर ही, | ||
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क़ाबिले दीद ख़िजाँ में खिला है मेरा चमन । | क़ाबिले दीद ख़िजाँ में खिला है मेरा चमन । | ||
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भूलकर कूल ग़र्क़ कश्तियाँ हुईं कितनी, | भूलकर कूल ग़र्क़ कश्तियाँ हुईं कितनी, | ||
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लौट मझधार से आया चिरायु ख़ुद मरण । | लौट मझधार से आया चिरायु ख़ुद मरण । | ||
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बुलबुलों ने दिया दुहरा कलाम ग़ंचों का, | बुलबुलों ने दिया दुहरा कलाम ग़ंचों का, | ||
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गंध बर मौन रहा आह! एक मेरा सुमन । | गंध बर मौन रहा आह! एक मेरा सुमन । |
10:37, 1 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
ग़म न हो पास इसी से उदास मेरा मन ।
साँस चलती है, चिहुँक चेतता नहीं है तन ।।
नींद ऐसी न किसी और को आई होगी,
जाग कर ढूँढती धरती कहाँ है मेरा गगन ।
मौसमी गुल हो निछावर, बहार तुम पर ही,
क़ाबिले दीद ख़िजाँ में खिला है मेरा चमन ।
भूलकर कूल ग़र्क़ कश्तियाँ हुईं कितनी,
लौट मझधार से आया चिरायु ख़ुद मरण ।
बुलबुलों ने दिया दुहरा कलाम ग़ंचों का,
गंध बर मौन रहा आह! एक मेरा सुमन ।