Changes

मृत्यु तुझको घेरे
हो सकता हैहै—तू बड़ी हो गई होमूरत प्रेम की खड़ी हो गई होतब मृत्यु ने आ घेरा हो तुझेइस तरह से हेरा हो तुझेपलकों के नीचे तेरी जोदो बड़े नीले फूल खिले थेजैसे अब जा धूल मिले थे
हो सकता है—
तू जान गई हो
बड़ी नहीं होगी, पहचान गई हो
भूख से मर जाएगी तू
इससे भी अनजान नहीं हो
 
या तुझे
खा गए हों रिश्तेदार
भेड़िए भूख से बेज़ार
वोल्गा के तटवर्ती इलाकों में कहीं
तू छोड़ गई हो यह संसार
 
हो सकता है—
तू पड़ी मिली हो
किसी खोह में अँधेरी
और तुझे दफ़ना दिया गया
जब पहचान नहीं हो पाई तेरी
 
हो सकता है—
जीवन में तूने
झेले हों असंख्य अत्याचार
कहीं खेतों के बीच पटककर
तेरे साथ भी किया हो किसी ने
घृणित बेरहम बलात्कार
 
हो सकता है—
बड़ी होकर भी
रोई हो तू जीवन भर
साइबेरिया के ठण्डे बर्फ़ीले तिमिर में
फिर मारी गई हो किसी यंत्रणा-शिविर में
 
बच्ची वह
रोई थी ऐसे
चेहरा उसका ऐंठ गया था
चेहरे पर पीड़ा थी गहरी
लाल झण्डा वहाँ जैसे पैठ गया था
 
क्या होगा
क्रान्ति से भला ?
इस भयानक मार-काट के बाद
फिर से असहनीय रुदन फैला है
और रूस है आज़ाद
 
रूसी खेतों से
बेड़ी पहने
लड़कियाँ गुज़र रही हैं फिर से
उनके नन्हे बच्चों की चीख़ें
उमड़ रही हैं मेरे सिर पे ।
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,345
edits