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"शाम-एक किसान / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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आकाश का साफ़ा बाँधकर
 
आकाश का साफ़ा बाँधकर
 
 
सूरज की चिलम खींचता
 
सूरज की चिलम खींचता
 
 
बैठा है पहाड़,
 
बैठा है पहाड़,
 
 
घुटनों पर पड़ी है नही चादर-सी,
 
घुटनों पर पड़ी है नही चादर-सी,
 
 
पास ही दहक रही है
 
पास ही दहक रही है
 
 
पलाश के जंगल की अँगीठी
 
पलाश के जंगल की अँगीठी
 
 
अंधकार दूर पूर्व में
 
अंधकार दूर पूर्व में
 
 
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्‍ले-सा।
 
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्‍ले-सा।
 
  
 
अचानक- बोला मोर।
 
अचानक- बोला मोर।
 
 
जैसे किसी ने आवाज़ दी-
 
जैसे किसी ने आवाज़ दी-
 
 
'सुनते हो'।
 
'सुनते हो'।
 
 
चिलम औंधी
 
चिलम औंधी
 
 
धुआँ उठा-
 
धुआँ उठा-
 
 
सूरज डूबा
 
सूरज डूबा
 
 
अंधेरा छा गया।
 
अंधेरा छा गया।

11:32, 15 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

आकाश का साफ़ा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाड़,
घुटनों पर पड़ी है नही चादर-सी,
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी
अंधकार दूर पूर्व में
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्‍ले-सा।

अचानक- बोला मोर।
जैसे किसी ने आवाज़ दी-
'सुनते हो'।
चिलम औंधी
धुआँ उठा-
सूरज डूबा
अंधेरा छा गया।