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"विघण हरण गणराज है / निमाड़ी" के अवतरणों में अंतर
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− | + | लावे लखं आऊ माथ | |
− | + | भक्ति मन आरज करे, | |
− | + | राखो शब्द की लाज... | |
− | + | विघण हरण... | |
− | + | रीधी सीधी रे गुरु संगम, | |
− | + | चरणो की दासी | |
− | + | चार मुल जिनके पास में, | |
− | + | हारे राखो चरण आधार... | |
− | + | विघण हरण... |
17:36, 18 अप्रैल 2013 का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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विघण हरण गणराज है,
शंकर सुत देवाँ
कोट विघन टल जाएगाँ,
हारे गणपति गुण गायाँ..
विघण हरण...
शीव की गादी सुनरियाँ,
ब्रम्हा ने बणायाँ
हरि हिरदें में तुम लावियाँ,
सरस्वति गुण गायाँ...
विघण हरण...
संकट मोचन घर दयाल है,
खुद करु रे बँड़ाई
नवंमी भक्ति हो प्रभु देत है
गुण शब्द की दाँसी...
विघण हरण...
गण सुमरे कारज करे,
लावे लखं आऊ माथ
भक्ति मन आरज करे,
राखो शब्द की लाज...
विघण हरण...
रीधी सीधी रे गुरु संगम,
चरणो की दासी
चार मुल जिनके पास में,
हारे राखो चरण आधार...
विघण हरण...