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"चुपचाप प्यार / लाल्टू" के अवतरणों में अंतर

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चुपचाप प्यार आता है.
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आता ही रहता है निरंतर
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हालांकि हर ओर अंधेरा
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धूप भरी दोपहर में भी
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शिशु की शरारती मुस्कान ले
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बार-बार चुपचाप प्यार आता है.
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बार-बार चुपचाप प्यार आता है|<br><br>
  
रेंग के आता ऊपर या नीचे से
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शरीर पर मन पर चढ़ जाता
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जहाँ कहीं भी बंजर, सीने में खिल उठता
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कमज़ोर दिल की धड़कनों पर महक बन छाता है.
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कमज़ोर दिल की धड़कनों पर महक बन छाता है|<br><br>
  
बेवजह आते हैं फिर जलजले
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आती है चाह
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आती है चाह<br>
फूल पौधों हवा में समाने की, अंजान पथों
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फूल पौधों हवा में समाने की, अंजान पथों<br>
पर भटका पथिक बन जाने की
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पर भटका पथिक बन जाने की<br>
ओ पेड़, ओ हवाओं, मुझे अपनी बाहों में ले लो
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ओ पेड़, ओ हवाओं, मुझे अपनी बाहों में ले लो<br>
मैं प्रेम कविताओं में डूब चला हूँ
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मैं प्रेम कविताओं में डूब चला हूँ<br>
  
आता है बेख़बर बेहिस प्यार जब
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आता है बेख़बर बेहिस प्यार जब<br>
पशु-पक्षी भी सुबकते हैं
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पशु-पक्षी भी सुबकते हैं<br>
सुख की सिसकियों में बार-बार
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सुख की सिसकियों में बार-बार<br>
चुपचाप प्यार आता है.
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चुपचाप प्यार आता है|<br><br>

18:34, 15 अक्टूबर 2007 का अवतरण


चुपचाप प्यार आता है |

आता ही रहता है निरंतर
हालांकि हर ओर अंधेरा
धूप भरी दोपहर में भी
शिशु की शरारती मुस्कान ले
बार-बार चुपचाप प्यार आता है|

रेंग के आता ऊपर या नीचे से
शरीर पर मन पर चढ़ जाता
जहाँ कहीं भी बंजर, सीने में खिल उठता
कमज़ोर दिल की धड़कनों पर महक बन छाता है|

बेवजह आते हैं फिर जलजले
आती है चाह
फूल पौधों हवा में समाने की, अंजान पथों
पर भटका पथिक बन जाने की
ओ पेड़, ओ हवाओं, मुझे अपनी बाहों में ले लो
मैं प्रेम कविताओं में डूब चला हूँ

आता है बेख़बर बेहिस प्यार जब
पशु-पक्षी भी सुबकते हैं
सुख की सिसकियों में बार-बार
चुपचाप प्यार आता है|