Changes

नब नचारी / यात्री

7 bytes added, 17:47, 1 जून 2013
जे बूड़ि हैत से बोकिअओतहु !
नहि रहलइ ककरो किच्छु मात्र तोहर भरोस ....
माटिक महŸवकें महत्तवकें चीन्हि लेलक ई देश-कोश !
पाथर भेलाह तों सरिपहुँ बाबा बैदनाथ !
नहि नबतै तोरा खातिर किन्नहु हमर माथ !
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,244
edits