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थकन / फ़ाज़िल जमीली

1 byte removed, 12:58, 29 जून 2013
के अपने घर में क़याम करना भी
अब थकन है
किसी सी से कोई कलाम करना भी
अब थकन है
वो जिनसे बातें करें
जो आसमानों से पानियों में
उतरती चाँदनी के अक्स में हो
वो जल परी जलपरी हो
यह मानता हूँ
मगर ज़रा देर के लिए तुम
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