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एक लहर फैली अनन्त की / त्रिलोचन
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05:21, 9 जुलाई 2013
कभी रोम-रोम से
प्राणों में भर आई
और है कहानी दिगन्त
की
की।
नीले आकाश में
कब से प्रतीक्षा थी
वही बात आ गई
एक लहर फैली अनन्त
की ।
की।
</poem>
Sharda suman
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