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"प्रेम / नन्दकिशोर नवल" के अवतरणों में अंतर
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12:30, 20 अगस्त 2013 का अवतरण
मेरे प्राणों के शिखरज्योतिर्मय हो रहे हैं,
मेरे मन के आम्रवन में मलयपवन का संचार हो रहा है,
मेरे अन्तर के शालिक्षेत्र पर चन्दा का अमृत बरस रहा है,
मेरे हृदय की डाली में कोंपलें फूट रही हैं,
मेरी चेतना का क्षितिज परिधान बदल रहा है,
मेरे मानसलोक में एक अपर लोक से किरणें आ रही हैं
क्या भीतर की पपड़ियाँ तोड़कर
तुम निकल रहे हो,
प्रेम ?